* नाना तरु फल फूल सुहाए। खग मृग बृंद देखि मन भाए॥
सैल बिसाल देखि एक आगें। ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥4॥
सैल बिसाल देखि एक आगें। ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥4॥
भावार्थ:-अनेकों प्रकार के वृक्ष फल-फूल से शोभित हैं। पक्षी और पशुओं के समूह को देखकर तो वे मन में (बहुत ही) प्रसन्न हुए। सामने एक विशाल पर्वत देखकर हनुमान्जी भय त्यागकर उस पर दौड़कर जा चढ़े॥4||
English: Trees of various kinds looked charming with fruits and flowers; and he was particularly delighted at heart to see the numerous birds and beasts. Beholding a huge mountain ahead of him, he fearlessly ran up to its summit.
English: Trees of various kinds looked charming with fruits and flowers; and he was particularly delighted at heart to see the numerous birds and beasts. Beholding a huge mountain ahead of him, he fearlessly ran up to its summit.
* उमा न कछु कपि कै अधिकाई। प्रभु प्रताप जो कालहि खाई॥
गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी। कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥5॥
गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी। कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥5॥
भावार्थ:-(शिवजी कहते हैं-) हे उमा! इसमें वानर हनुमान् की कुछ बड़ाई नहीं है। यह प्रभु का प्रताप है, जो काल को भी खा जाता है। पर्वत पर चढ़कर उन्होंने लंका देखी। बहुत ही बड़ा किला है, कुछ कहा नहीं जाता॥5||
English: The chief of the monkeys, (God Shiv says)O Uma(Parvati), deserved no credit for it: it was all attributable to the glory of the Lord, who devours Death himself. Climbing up the hill he surveyed Lanka, a most marvellous fortress that defied description.
English: The chief of the monkeys, (God Shiv says)O Uma(Parvati), deserved no credit for it: it was all attributable to the glory of the Lord, who devours Death himself. Climbing up the hill he surveyed Lanka, a most marvellous fortress that defied description.
* अति उतंग जलनिधि चहुँ पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥
भावार्थ:-वह अत्यंत ऊँचा है, उसके चारों ओर समुद्र है। सोने के परकोटे (चहारदीवारी) का परम प्रकाश हो रहा है॥6||
English: It was very high and was enclosed by the ocean on all sides. The ramparts of gold shed great lustre all round.
English: It was very high and was enclosed by the ocean on all sides. The ramparts of gold shed great lustre all round.
छंद :
* कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥1॥
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥1॥
भावार्थ:-विचित्र मणियों से जड़ा हुआ सोने का परकोटा है, उसके अंदर बहुत से सुंदर-सुंदर घर हैं। चौराहे, बाजार, सुंदर मार्ग और गलियाँ हैं, सुंदर नगर बहुत प्रकार से सजा हुआ है। हाथी, घोड़े, खच्चरों के समूह तथा पैदल और रथों के समूहों को कौन गिन सकता है! अनेक रूपों के राक्षसों के दल हैं, उनकी अत्यंत बलवती सेना वर्णन करते नहीं बनती॥1||
English: The charming city was enclosed by a fortification wall of gold inlaid with precious stones of various kinds, and contained many beautiful houses, cross roads, bazars, lovely streets and lanes, and was decorated in everyway. Who could count the multitudes of elephants, horses and mules, the crowds of foot soldiers and chariots and the troops of demons of every shapea formidable host beyond all description ?
English: The charming city was enclosed by a fortification wall of gold inlaid with precious stones of various kinds, and contained many beautiful houses, cross roads, bazars, lovely streets and lanes, and was decorated in everyway. Who could count the multitudes of elephants, horses and mules, the crowds of foot soldiers and chariots and the troops of demons of every shapea formidable host beyond all description ?
* बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥2॥
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥2॥
भावार्थ:-वन, बाग, उपवन (बगीचे), फुलवाड़ी, तालाब, कुएँ और बावलियाँ सुशोभित हैं। मनुष्य, नाग, देवताओं और गंधर्वों की कन्याएँ अपने सौंदर्य से मुनियों के भी मन को मोहे लेती हैं। कहीं पर्वत के समान विशाल शरीर वाले बड़े ही बलवान् मल्ल (पहलवान) गरज रहे हैं। वे अनेकों अखाड़ों में बहुत प्रकार से भिड़ते और एक-दूसरे को ललकारते हैं॥2||
English: Groves and orchards, gardens and parks, lakes and also wells, big and small, looked charming; daughters of human beings, Nagas, gods and Gandharvas (celestial musicians) enraptured with their beauty the minds of even hermits. Here roared mighty wrestlers endowed with huge mountain like forms. They grappled with one another in many ways in different courts and challenged one another to a duel.
English: Groves and orchards, gardens and parks, lakes and also wells, big and small, looked charming; daughters of human beings, Nagas, gods and Gandharvas (celestial musicians) enraptured with their beauty the minds of even hermits. Here roared mighty wrestlers endowed with huge mountain like forms. They grappled with one another in many ways in different courts and challenged one another to a duel.
* करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥3॥
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥3॥
भावार्थ:-भयंकर शरीर वाले करोड़ों योद्धा यत्न करके (बड़ी सावधानी से) नगर की चारों दिशाओं में (सब ओर से) रखवाली करते हैं। कहीं दुष्ट राक्षस भैंसों, मनुष्यों, गायों, गदहों और बकरों को खा रहे हैं। तुलसीदास ने इनकी कथा इसीलिए कुछ थोड़ी सी कही है कि ये निश्चय ही श्री रामचंद्रजी के बाण रूपी तीर्थ में शरीरों को त्यागकर परमगति पावेंगे॥3||
English: Myriads of champions possessing frightful forms sedulously guarded the city on all sides. Elsewhere the vile demons feasted on buffaloes, human beings, cows, donkeys and goats. Tulsidas has briefly told their story only because they will drop their bodies at the sanctuary of Shri Ram`s arrows and thereby attain the supreme state.
English: Myriads of champions possessing frightful forms sedulously guarded the city on all sides. Elsewhere the vile demons feasted on buffaloes, human beings, cows, donkeys and goats. Tulsidas has briefly told their story only because they will drop their bodies at the sanctuary of Shri Ram`s arrows and thereby attain the supreme state.
दोहा-
Doha:
Doha:
*पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार॥3॥
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार॥3॥
भावार्थ:-नगर के बहुसंख्यक रखवालों को देखकर हनुमान्जी ने मन में विचार किया कि अत्यंत छोटा रूप धरूँ और रात के समय नगर में प्रवेश करूँ॥3||
English: Seeing a host of guards defending the city, the chief of the monkeys thought to himself, Let me assume a very minute form and enter the city at night.
English: Seeing a host of guards defending the city, the chief of the monkeys thought to himself, Let me assume a very minute form and enter the city at night.
चौपाई :
* मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1॥
भावार्थ:-हनुमान्जी मच्छड़ के समान (छोटा सा) रूप धारण कर नर रूप से लीला करने वाले भगवान् श्री रामचंद्रजी का स्मरण करके लंका को चले (लंका के द्वार पर) लंकिनी नाम की एक राक्षसी रहती थी। वह बोली- मेरा निरादर करके (बिना मुझसे पूछे) कहाँ चला जा रहा है?॥1||
English: Hanumn assumed a form as small as a gnat and, invoking the Lord in human semblance (Bhagavn Shri Ram), headed towards Lanka. (At the gateway of Lanka) lived a demoness, Lankini by name. Where should you be going heedless of me?
English: Hanumn assumed a form as small as a gnat and, invoking the Lord in human semblance (Bhagavn Shri Ram), headed towards Lanka. (At the gateway of Lanka) lived a demoness, Lankini by name. Where should you be going heedless of me?
* जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा। मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी। रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥2॥
मुठिका एक महा कपि हनी। रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥2॥
भावार्थ:-हे मूर्ख! तूने मेरा भेद नहीं जाना जहाँ तक (जितने) चोर हैं, वे सब मेरे आहार हैं। महाकपि हनुमान्जी ने उसे एक घूँसा मारा, जिससे वह खून की उलटी करती हुई पृथ्वी पर ल़ुढक पड़ी॥2||
English: she said. Fool, have you not been able to know who I am? Every thief hereabout is my food. The great monkey dealt her such a blow with his fist that she toppled down vomiting blood.
English: she said. Fool, have you not been able to know who I am? Every thief hereabout is my food. The great monkey dealt her such a blow with his fist that she toppled down vomiting blood.
* पुनि संभारि उठी सो लंका। जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा। चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥3॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा। चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥3॥
भावार्थ:-वह लंकिनी फिर अपने को संभालकर उठी और डर के मारे हाथ जोड़कर विनती करने लगी। (वह बोली-) रावण को जब ब्रह्माजी ने वर दिया था, तब चलते समय उन्होंने मुझे राक्षसों के विनाश की यह पहचान बता दी थी कि-॥3||
English: Then, recovering herself, Lanka (Lankini), stood up, and joining her palms in dismay, humbly addressed him, When Brahma granted Ravana the boon he had asked for, the Creator furnished me with the following clue (to the extermination of the demon race) while departing:
English: Then, recovering herself, Lanka (Lankini), stood up, and joining her palms in dismay, humbly addressed him, When Brahma granted Ravana the boon he had asked for, the Creator furnished me with the following clue (to the extermination of the demon race) while departing:
* बिकल होसि तैं कपि कें मारे। तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता। देखेउँ नयन राम कर दूता॥4॥
तात मोर अति पुन्य बहूता। देखेउँ नयन राम कर दूता॥4॥
भावार्थ:-जब तू बंदर के मारने से व्याकुल हो जाए, तब तू राक्षसों का संहार हुआ जान लेना। हे तात! मेरे बड़े पुण्य हैं, जो मैं श्री रामचंद्रजी के दूत (आप) को नेत्रों से देख पाई॥4||
English: When you get discomfited by a blow from a monkey, know that all is over with the demon race. I must have earned very great merit, dear Hanuman, that I have been blessed with the sight of Shri Ram`s own messenger.
English: When you get discomfited by a blow from a monkey, know that all is over with the demon race. I must have earned very great merit, dear Hanuman, that I have been blessed with the sight of Shri Ram`s own messenger.
दोहा :
* तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग॥4॥
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग॥4॥
भावार्थ:-हे तात! स्वर्ग और मोक्ष के सब सुखों को तराजू के एक पलड़े में रखा जाए, तो भी वे सब मिलकर (दूसरे पलड़े पर रखे हुए) उस सुख के बराबर नहीं हो सकते, जो लव (क्षण) मात्र के सत्संग से होता है॥4||
English: In one scale of the balance, dear son, put together the delights of heaven and the bliss of final beatitude; but they will all be outweighed by a moments joy derived from communion with the saints.
English: In one scale of the balance, dear son, put together the delights of heaven and the bliss of final beatitude; but they will all be outweighed by a moments joy derived from communion with the saints.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥
भावार्थ:-अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए। उसके लिए विष अमृत हो जाता है, शत्रु मित्रता करने लगते हैं, समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है॥1॥
English: Enter the city with the Lord of Ayodhya enshrined in your heart and accomplish all your business. Poison is transformed into nectar, foes turn friends, the ocean contracts itself to the size of a cows footprint, fire becomes cool and Mount Meru,
English: Enter the city with the Lord of Ayodhya enshrined in your heart and accomplish all your business. Poison is transformed into nectar, foes turn friends, the ocean contracts itself to the size of a cows footprint, fire becomes cool and Mount Meru,
* गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा करि चितवा जाही॥
अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥2॥
अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥2॥
भावार्थ:-और हे गरुड़जी! सुमेरु पर्वत उसके लिए रज के समान हो जाता है, जिसे श्री रामचंद्रजी ने एक बार कृपा करके देख लिया। तब हनुमान्जी ने बहुत ही छोटा रूप धारण किया और भगवान् का स्मरण करके नगर में प्रवेश किया॥2||
English: O Garuda, appears like a grain of sand to him on whom Shri Ram has cast His benign look. Hanuman assumed a very minute form and invoking Shri Ram entered the city.
English: O Garuda, appears like a grain of sand to him on whom Shri Ram has cast His benign look. Hanuman assumed a very minute form and invoking Shri Ram entered the city.
* मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा। देखे जहँ तहँ अगनित जोधा॥
गयउ दसानन मंदिर माहीं। अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं॥3॥
गयउ दसानन मंदिर माहीं। अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं॥3॥
भावार्थ:-उन्होंने एक-एक (प्रत्येक) महल की खोज की। जहाँ-तहाँ असंख्य योद्धा देखे। फिर वे रावण के महल में गए। वह अत्यंत विचित्र था, जिसका वर्णन नहीं हो सकता॥3||
English: He ransacked every mansion and saw countless warriors here and there. Then he made his way into Ravana`s palace, which was marvellous beyond words.
English: He ransacked every mansion and saw countless warriors here and there. Then he made his way into Ravana`s palace, which was marvellous beyond words.
* सयन किएँ देखा कपि तेही। मंदिर महुँ न दीखि बैदेही॥
भवन एक पुनि दीख सुहावा। हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा॥4॥
भवन एक पुनि दीख सुहावा। हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा॥4॥
भावार्थ:-हनुमान्जी ने उस (रावण) को शयन किए देखा, परंतु महल में जानकीजी नहीं दिखाई दीं। फिर एक सुंदर महल दिखाई दिया। वहाँ (उसमें) भगवान् का एक अलग मंदिर बना हुआ था॥4||
English: He saw the demon chief buried in sleep; but he did not find Videha`s Daughter there. He then noticed another splendid building, with a temple sacred to Shri Hari standing apart.
English: He saw the demon chief buried in sleep; but he did not find Videha`s Daughter there. He then noticed another splendid building, with a temple sacred to Shri Hari standing apart.