होली भारत का प्रमुख त्योहार है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक त्योहार है, वहीं रंगों का भी त्योहार है। बाल-वृद्ध, नर-नारी सभी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें जातिभेद-वर्णभेद का कोई स्थान नहीं होता।
उत्तर प्रदेश की होली-
यहाँ होली पर रंग और गुलाल के अलावा तरह तरह के व्यंजन का भी बोलबाला रहता है। गुझिया, दही वड़े, मठरी और इन सब से बढ़ कर ठंडाई और उसके साथ भांग, रंगों के सुरूर को दोगुना कर देती है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृन्दावन क्षेत्रों की होली तो विश्वप्रसिद्ध है। मथुरा में बरसाने की होली प्रसिद्ध है। बरसाना राधा जी का गाँव है जो मथुरा शहर से क़रीब 42 किमी अन्दर है। यहाँ एक अनोखी होली खेली जाती है जिसका नाम है लट्ठमार होली। बरसाने में ऐसी परंपरा हैं कि श्री कृष्ण के गाँव नंदगाँव के पुरुष बरसाने में घुसने और राधा जी के मंदिर में ध्वज फहराने की कोशिश करते है और बरसाने की महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं और डंडों से पीटती हैं और अगर कोई मर्द पकड़ जाये तो उसे महिलाओं की तरह शृंगार करना होता है और सब के सम्मुख नृत्य करना पड़ता है, फिर इसके अगले दिन बरसाने के पुरुष नंदगाँव जा कर वहाँ की महिलाओं पर रंग डालने की कोशिश करते हैं। यह होली उत्सव क़रीब सात दिनों तक चलता है। इसके अलावा एक और उल्लास भरी होली होती है, वो है वृन्दावन की होली यहाँ बाँके बिहारी मंदिर की होली और 'गुलाल कुंद की होली' बहुत महत्त्वपूर्ण है। वृन्दावन की होली में पूरा समां प्यार की ख़ुशी से सुगन्धित हो उठता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि होली पर रंग खेलने की परंपरा राधाजी व कृष्ण जी द्वारा ही शुरू की गई थी।
बंगाल और उड़ीसा की होली-
बंगाल में होली को 'डोल यात्रा' व 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और होली के दिन राधा और कृष्ण की प्रतिमाओं को डोली में बैठाकर पूरे शहर में घुमाते है और औरतें उसके आगे नृत्य करती हैं। यह भी अपने आप में एक अनूठी होली है। बंगाल में होली को 'बसंत पर्व' भी कहते है। इसकी शुरुआत रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन में की थी। उड़ीसा में भी होली को 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।
राजस्थान की होली-
राजस्थान की होली यहाँ मुख्यत: तीन प्रकार की होली होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते है और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती है। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी बेहद ख़ूबसूरत होती है।
पंजाब की होली-
पंजाब में होली को 'होला मोहल्ला' कहते है और इसे निहंग सिख मानते है। इस मौके पर घुड़सवारी, तलवारबाज़ी आदि का आयोजन होता है।
हरियाणा की होली-
हरियाणा की होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है। बस फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि यहाँ देवर, भाभी को रंगने की कोशिश करते है और बदले में भाभी देवर की लाठियों से पिटाई करती है। यहाँ होली को 'दुल्हंदी' भी कहते हैं।
दिल्ली वालों की दिलवाली होली-
दिल्ली की होली तो सबसे निराली है क्योंकि राजधानी होने की वजह से यहाँ पर सभी जगह के लोग अपने ढंग होली मानते है जो आपसी समरसता और सौहार्द का स्वरूप है। वैसे दिल्ली में नेताओं की होली की भी ख़ूब धूम होती है।
आंध्र प्रदेश की होली -
वैसे तो दक्षिण में उत्तर भारत की तरह की रंगों वाली होली नहीं मनाई जाती है फिर भी सभी लोग हर्षोल्लास में शामिल रहते हैं। उत्तर भारत से इतर दक्षिण में नवयुवक शाम को एकत्रित हो कर गुलाल से होली खेलते है और बड़ों का आशीर्वाद लेते है। आंध्र प्रदेश के बंजारा जनजतियों का होली मनाने का अपना निराला तरीक़ा है। यह लोग अपने विशिष्ट अंदाज़ में मनोरम नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
तमिलनाडु की होली-
इसी प्रकार तमिलनाडु में होली को 'कमाविलास', 'कमान पंदिगाई' एवं 'काम-दहन' के नाम से जाना जाता है, यहाँ के लोगों का मानना है कि कामदेव के तीर के कारण ही शिव को पार्वती से प्रेम हुआ था और भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती से हुआ था, मगर तीर लगने से क्रोधित शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था तब रति के आग्रह पर देवी पार्वती ने उन्हें पुनर्जीवित किया और जिस दिन कामदेव पुनर्जिवित हुए उस दिन को होली के रूप में मानते है। इसीलिए तमिलनाडु में होली को काम पंदिगाई के नाम से जाना जाता है। यहाँ होली को प्रेम के पर्व के रूप में मनाया जाता है
कर्नाटक में होली -
कर्नाटक में यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं।
इसके अलावा बिहार की फगुआ होली, महाराष्ट्र की रंगपंचमी, गोवा की शिमगो, गुजरात की गोविंदा होली, और पश्चिमी पूर्व की 'बिही जनजाति की होली' की धूम भी निराली है।
Source: http://bharatdiscovery.org
उत्तर प्रदेश की होली-
यहाँ होली पर रंग और गुलाल के अलावा तरह तरह के व्यंजन का भी बोलबाला रहता है। गुझिया, दही वड़े, मठरी और इन सब से बढ़ कर ठंडाई और उसके साथ भांग, रंगों के सुरूर को दोगुना कर देती है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृन्दावन क्षेत्रों की होली तो विश्वप्रसिद्ध है। मथुरा में बरसाने की होली प्रसिद्ध है। बरसाना राधा जी का गाँव है जो मथुरा शहर से क़रीब 42 किमी अन्दर है। यहाँ एक अनोखी होली खेली जाती है जिसका नाम है लट्ठमार होली। बरसाने में ऐसी परंपरा हैं कि श्री कृष्ण के गाँव नंदगाँव के पुरुष बरसाने में घुसने और राधा जी के मंदिर में ध्वज फहराने की कोशिश करते है और बरसाने की महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं और डंडों से पीटती हैं और अगर कोई मर्द पकड़ जाये तो उसे महिलाओं की तरह शृंगार करना होता है और सब के सम्मुख नृत्य करना पड़ता है, फिर इसके अगले दिन बरसाने के पुरुष नंदगाँव जा कर वहाँ की महिलाओं पर रंग डालने की कोशिश करते हैं। यह होली उत्सव क़रीब सात दिनों तक चलता है। इसके अलावा एक और उल्लास भरी होली होती है, वो है वृन्दावन की होली यहाँ बाँके बिहारी मंदिर की होली और 'गुलाल कुंद की होली' बहुत महत्त्वपूर्ण है। वृन्दावन की होली में पूरा समां प्यार की ख़ुशी से सुगन्धित हो उठता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि होली पर रंग खेलने की परंपरा राधाजी व कृष्ण जी द्वारा ही शुरू की गई थी।
बंगाल और उड़ीसा की होली-
बंगाल में होली को 'डोल यात्रा' व 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और होली के दिन राधा और कृष्ण की प्रतिमाओं को डोली में बैठाकर पूरे शहर में घुमाते है और औरतें उसके आगे नृत्य करती हैं। यह भी अपने आप में एक अनूठी होली है। बंगाल में होली को 'बसंत पर्व' भी कहते है। इसकी शुरुआत रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन में की थी। उड़ीसा में भी होली को 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।
राजस्थान की होली-
राजस्थान की होली यहाँ मुख्यत: तीन प्रकार की होली होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते है और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती है। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी बेहद ख़ूबसूरत होती है।
पंजाब की होली-
पंजाब में होली को 'होला मोहल्ला' कहते है और इसे निहंग सिख मानते है। इस मौके पर घुड़सवारी, तलवारबाज़ी आदि का आयोजन होता है।
हरियाणा की होली-
हरियाणा की होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है। बस फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि यहाँ देवर, भाभी को रंगने की कोशिश करते है और बदले में भाभी देवर की लाठियों से पिटाई करती है। यहाँ होली को 'दुल्हंदी' भी कहते हैं।
दिल्ली वालों की दिलवाली होली-
दिल्ली की होली तो सबसे निराली है क्योंकि राजधानी होने की वजह से यहाँ पर सभी जगह के लोग अपने ढंग होली मानते है जो आपसी समरसता और सौहार्द का स्वरूप है। वैसे दिल्ली में नेताओं की होली की भी ख़ूब धूम होती है।
आंध्र प्रदेश की होली -
वैसे तो दक्षिण में उत्तर भारत की तरह की रंगों वाली होली नहीं मनाई जाती है फिर भी सभी लोग हर्षोल्लास में शामिल रहते हैं। उत्तर भारत से इतर दक्षिण में नवयुवक शाम को एकत्रित हो कर गुलाल से होली खेलते है और बड़ों का आशीर्वाद लेते है। आंध्र प्रदेश के बंजारा जनजतियों का होली मनाने का अपना निराला तरीक़ा है। यह लोग अपने विशिष्ट अंदाज़ में मनोरम नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
तमिलनाडु की होली-
इसी प्रकार तमिलनाडु में होली को 'कमाविलास', 'कमान पंदिगाई' एवं 'काम-दहन' के नाम से जाना जाता है, यहाँ के लोगों का मानना है कि कामदेव के तीर के कारण ही शिव को पार्वती से प्रेम हुआ था और भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती से हुआ था, मगर तीर लगने से क्रोधित शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था तब रति के आग्रह पर देवी पार्वती ने उन्हें पुनर्जीवित किया और जिस दिन कामदेव पुनर्जिवित हुए उस दिन को होली के रूप में मानते है। इसीलिए तमिलनाडु में होली को काम पंदिगाई के नाम से जाना जाता है। यहाँ होली को प्रेम के पर्व के रूप में मनाया जाता है
कर्नाटक में होली -
कर्नाटक में यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं।
इसके अलावा बिहार की फगुआ होली, महाराष्ट्र की रंगपंचमी, गोवा की शिमगो, गुजरात की गोविंदा होली, और पश्चिमी पूर्व की 'बिही जनजाति की होली' की धूम भी निराली है।
Source: http://bharatdiscovery.org