जानिए भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक को रामेश्वरम क्यूँ कहा जाता है

रामेश्वरम ज्योतिर्लिग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है इस ज्योतिर्लिग के बारे में यह कहा जाता है, कि इस ज्योतिर्लिग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी| भगवान राम द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस भगवान राम का नाम से रामेश्वरम दिया गया है|

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग स्थापित करने का संबन्ध उस पौराणिक घटना से बताया जाता है| जिसमें भगवान श्रीराम ने अपनी पत्नी देवी सीता को राक्षस राज रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए जिस समय लंका पर चढाई की थी| उस समय चढाई करने से पहले श्रीविजय का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए इस स्थान पर रेत से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की गई थी| उसी समय से यह ज्योतिर्लिंग सदैव के लिए यहां स्थापित हो गयी। तब भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर श्रीराम को विजयश्री का आशीर्वाद दिया था। श्री राम द्वारा प्रार्थना किए जाने पर लोककल्याण की भावना से ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए वहां निवास करना भगवान शंकर ने स्वीकार कर लिया। एक अन्य मान्यता के अनुसार रामेश्वरम में विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य ब्रह्महत्या जैसे पाप से भी मुक्त हो जाता है।

कहते हैं जो मनुष्य परम पवित्र गंगाजल से भक्तिपूर्वक रामेश्वर शिव का अभिषेक करता है अथवा उन्हें स्नान कराता है वह जीवन- मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।

रामेश्वरम स्थान भगवान शिव के प्रमुख धामों मे से एक है| यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडू राज्य के रामनाथपुरं नामक स्थान में स्थित है| भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ साथ यह स्थान हिन्दूओं के चार धामों में से एक भी है|






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