* सुनु कपीस लंकापति बीरा। केहि बिधि तरिअ जलधि गंभीरा॥
संकुल मकर उरग झष जाती। अति अगाध दुस्तर सब भाँति॥3॥
भावार्थ:-हे वीर वानरराज सुग्रीव और लंकापति विभीषण! सुनो, इस गहरे समुद्र को किस प्रकार पार किया जाए? अनेक जाति के मगर, साँप और मछलियों से भरा हुआ यह अत्यंत अथाह समुद्र पार करने में सब प्रकार से कठिन है॥3||
English: Listen, O lord of the monkeys and O valiant sovereign of Lanka, how are we to cross the deep ocean full of alligators, snakes and all varieties of fishes, most unfathomable and difficult to cross in everyway?
English: Listen, O lord of the monkeys and O valiant sovereign of Lanka, how are we to cross the deep ocean full of alligators, snakes and all varieties of fishes, most unfathomable and difficult to cross in everyway?
* कह लंकेस सुनहु रघुनायक। कोटि सिंधु सोषक तव सायक॥
जद्यपि तदपि नीति असि गाई। बिनय करिअ सागर सन जाई॥4॥
जद्यपि तदपि नीति असि गाई। बिनय करिअ सागर सन जाई॥4॥
भावार्थ:-विभीषणजी ने कहा- हे रघुनाथजी! सुनिए, यद्यपि आपका एक बाण ही करोड़ों समुद्रों को सोखने वाला है (सोख सकता है), तथापि नीति ऐसी कही गई है (उचित यह होगा) कि (पहले) जाकर समुद्र से प्रार्थना की जाए॥4||
दोहा :
Doha:
Doha:
* प्रभु तुम्हार कुलगुर जलधि कहिहि उपाय बिचारि॥
बिनु प्रयास सागर तरिहि सकल भालु कपि धारि॥50॥
बिनु प्रयास सागर तरिहि सकल भालु कपि धारि॥50॥
भावार्थ:-हे प्रभु! समुद्र आपके कुल में बड़े (पूर्वज) हैं, वे विचारकर उपाय बतला देंगे। तब रीछ और वानरों की सारी सेना बिना ही परिश्रम के समुद्र के पार उतर जाएगी॥50||
English: My lord, the deity presiding over the ocean is an ancestor of Yours; hence he will think over the question and suggest some means (of crossing the ocean).* The whole host of bears and monkeys will thus be able to cross the ocean without much ado.
English: My lord, the deity presiding over the ocean is an ancestor of Yours; hence he will think over the question and suggest some means (of crossing the ocean).* The whole host of bears and monkeys will thus be able to cross the ocean without much ado.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* सखा कही तुम्ह नीति उपाई। करिअ दैव जौं होइ सहाई।
मंत्र न यह लछिमन मन भावा। राम बचन सुनि अति दुख पावा॥1॥
मंत्र न यह लछिमन मन भावा। राम बचन सुनि अति दुख पावा॥1॥
भावार्थ:-(श्री रामजी ने कहा-) हे सखा! तुमने अच्छा उपाय बताया। यही किया जाए, यदि दैव सहायक हों। यह सलाह लक्ष्मणजी के मन को अच्छी नहीं लगी। श्री रामजी के वचन सुनकर तो उन्होंने बहुत ही दुःख पाया॥1||
English: Friend, you have suggested an excellent plan; let us try it and see if Providence helps it. This counsel, however, did not find favour with Lakshman, who was greatly pained to hear Shri Ram`s words.
English: Friend, you have suggested an excellent plan; let us try it and see if Providence helps it. This counsel, however, did not find favour with Lakshman, who was greatly pained to hear Shri Ram`s words.
* नाथ दैव कर कवन भरोसा। सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा॥
कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा॥2॥
कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा॥2॥
भावार्थ:-(लक्ष्मणजी ने कहा-) हे नाथ! दैव का कौन भरोसा! मन में क्रोध कीजिए (ले आइए) और समुद्र को सुखा डालिए। यह दैव तो कायर के मन का एक आधार (तसल्ली देने का उपाय) है। आलसी लोग ही दैव-दैव पुकारा करते हैं॥2||
English: No reliance can be placed on the freaks of fortune. Fill your mind with indignation and dry up the ocean. Fate is a crutch for the mind of cowards alone; it is the indolent who proclaim their faith in fate.
English: No reliance can be placed on the freaks of fortune. Fill your mind with indignation and dry up the ocean. Fate is a crutch for the mind of cowards alone; it is the indolent who proclaim their faith in fate.
* सुनत बिहसि बोले रघुबीरा। ऐसेहिं करब धरहु मन धीरा॥
अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई। सिंधु समीप गए रघुराई॥3॥
अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई। सिंधु समीप गए रघुराई॥3॥
भावार्थ:-यह सुनकर श्री रघुवीर हँसकर बोले- ऐसे ही करेंगे, मन में धीरज रखो। ऐसा कहकर छोटे भाई को समझाकर प्रभु श्री रघुनाथजी समुद्र के समीप गए॥3||
* प्रथम प्रनाम कीन्ह सिरु नाई। बैठे पुनि तट दर्भ डसाई॥
जबहिं बिभीषन प्रभु पहिं आए। पाछें रावन दूत पठाए॥4॥
जबहिं बिभीषन प्रभु पहिं आए। पाछें रावन दूत पठाए॥4॥
भावार्थ:-उन्होंने पहले सिर नवाकर प्रणाम किया। फिर किनारे पर कुश बिछाकर बैठ गए। इधर ज्यों ही विभीषणजी प्रभु के पास आए थे, त्यों ही रावण ने उनके पीछे दूत भेजे थे॥51||
दोहा :
Doha:
Doha:
* सकल चरित तिन्ह देखे धरें कपट कपि देह।
प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह॥51॥
प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह॥51॥
भावार्थ:-कपट से वानर का शरीर धारण कर उन्होंने सब लीलाएँ देखीं। वे अपने हृदय में प्रभु के गुणों की और शरणागत पर उनके स्नेह की सराहना करने लगे॥51||
English: Assuming the false appearance of monkeys they witnessed all the doings of Shri Ram and praised in their heart the Lords virtues and His fondness for those who come to Him for protection.
English: Assuming the false appearance of monkeys they witnessed all the doings of Shri Ram and praised in their heart the Lords virtues and His fondness for those who come to Him for protection.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ। अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ॥
रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने। सकल बाँधि कपीस पहिं आने॥1॥
रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने। सकल बाँधि कपीस पहिं आने॥1॥
भावार्थ:-फिर वे प्रकट रूप में भी अत्यंत प्रेम के साथ श्री रामजी के स्वभाव की बड़ाई करने लगे उन्हें दुराव (कपट वेश) भूल गया। सब वानरों ने जाना कि ये शत्रु के दूत हैं और वे उन सबको बाँधकर सुग्रीव के पास ले आए॥1||
English: They openly commenced applauding Shri Ram`s amiability and in the intensity of their emotion forgot their disguise. The monkeys now recognized them as the enemys spies; they bound them all and brought them in the presence of Sugriva (the lord of the monkeys).
English: They openly commenced applauding Shri Ram`s amiability and in the intensity of their emotion forgot their disguise. The monkeys now recognized them as the enemys spies; they bound them all and brought them in the presence of Sugriva (the lord of the monkeys).
* कह सुग्रीव सुनहु सब बानर। अंग भंग करि पठवहु निसिचर॥
सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए। बाँधि कटक चहु पास फिराए॥2॥
सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए। बाँधि कटक चहु पास फिराए॥2॥
भावार्थ:-सुग्रीव ने कहा- सब वानरों! सुनो, राक्षसों के अंग-भंग करके भेज दो। सुग्रीव के वचन सुनकर वानर दौड़े। दूतों को बाँधकर उन्होंने सेना के चारों ओर घुमाया॥2||
English: Said Sugriva, Listen, all you monkeys: mutilate the demons and dismiss them. Hearing Sugriva command the monkeys ran and paraded them in bonds all through the camp.
English: Said Sugriva, Listen, all you monkeys: mutilate the demons and dismiss them. Hearing Sugriva command the monkeys ran and paraded them in bonds all through the camp.
* बहु प्रकार मारन कपि लागे। दीन पुकारत तदपि न त्यागे॥
जो हमार हर नासा काना। तेहि कोसलाधीस कै आना॥3॥
जो हमार हर नासा काना। तेहि कोसलाधीस कै आना॥3॥
भावार्थ:-वानर उन्हें बहुत तरह से मारने लगे। वे दीन होकर पुकारते थे, फिर भी वानरों ने उन्हें नहीं छोड़ा। (तब दूतों ने पुकारकर कहा-) जो हमारे नाक-कान काटेगा, उसे कोसलाधीश श्री रामजी की सौगंध है॥3||
English: The monkeys, then started belabouring them right and left; the demons piteously cried for help, yet the monkeys would not let them alone. Whosoever robs us of our nose and ears, we adjure him by Shri Rama not to do so.
English: The monkeys, then started belabouring them right and left; the demons piteously cried for help, yet the monkeys would not let them alone. Whosoever robs us of our nose and ears, we adjure him by Shri Rama not to do so.
* सुनि लछिमन सब निकट बोलाए। दया लागि हँसि तुरत छोड़ाए॥
रावन कर दीजहु यह पाती। लछिमन बचन बाचु कुलघाती॥4॥
रावन कर दीजहु यह पाती। लछिमन बचन बाचु कुलघाती॥4॥
भावार्थ:-यह सुनकर लक्ष्मणजी ने सबको निकट बुलाया। उन्हें बड़ी दया लगी, इससे हँसकर उन्होंने राक्षसों को तुरंत ही छुड़ा दिया। (और उनसे कहा-) रावण के हाथ में यह चिट्ठी देना (और कहना-) हे कुलघातक! लक्ष्मण के शब्दों (संदेसे) को बाँचो॥4||
दोहा :
Doha:
Doha:
* कहेहु मुखागर मूढ़ सन मम संदेसु उदार।
सीता देइ मिलहु न त आवा कालु तुम्हार॥52॥
सीता देइ मिलहु न त आवा कालु तुम्हार॥52॥
भावार्थ:-फिर उस मूर्ख से जबानी यह मेरा उदार (कृपा से भरा हुआ) संदेश कहना कि सीताजी को देकर उनसे (श्री रामजी से) मिलो, नहीं तो तुम्हारा काल आ गया (समझो)॥52||
English: Further convey to the fool by word of mouth my generous message: surrender Sita and make peace or your hour is come.
English: Further convey to the fool by word of mouth my generous message: surrender Sita and make peace or your hour is come.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* तुरत नाइ लछिमन पद माथा। चले दूत बरनत गुन गाथा॥
कहत राम जसु लंकाँ आए। रावन चरन सीस तिन्ह नाए॥1॥
कहत राम जसु लंकाँ आए। रावन चरन सीस तिन्ह नाए॥1॥
भावार्थ:-लक्ष्मणजी के चरणों में मस्तक नवाकर, श्री रामजी के गुणों की कथा वर्णन करते हुए दूत तुरंत ही चल दिए। श्री रामजी का यश कहते हुए वे लंका में आए और उन्होंने रावण के चरणों में सिर नवाए॥1||
English: Bowing their head at Lakshaman`s feet the spies immediately departed, recounting the virtues of Shri Ram. With Shri Ram`s praises on their lips they entered Lanka and bowed their head at RvaÄas feet.
English: Bowing their head at Lakshaman`s feet the spies immediately departed, recounting the virtues of Shri Ram. With Shri Ram`s praises on their lips they entered Lanka and bowed their head at RvaÄas feet.
* बिहसि दसानन पूँछी बाता। कहसि न सुक आपनि कुसलाता॥
पुन कहु खबरि बिभीषन केरी। जाहि मृत्यु आई अति नेरी॥2॥
पुन कहु खबरि बिभीषन केरी। जाहि मृत्यु आई अति नेरी॥2॥
भावार्थ:-दशमुख रावण ने हँसकर बात पूछी- अरे शुक! अपनी कुशल क्यों नहीं कहता? फिर उस विभीषण का समाचार सुना, मृत्यु जिसके अत्यंत निकट आ गई है॥2||
English: The ten-headed monster laughed and asked them the news: Report me, Suka, your own welfare and then tell me the news about Vibhishan whom death has approached very near.
English: The ten-headed monster laughed and asked them the news: Report me, Suka, your own welfare and then tell me the news about Vibhishan whom death has approached very near.
* करत राज लंका सठ त्यागी। होइहि जव कर कीट अभागी॥
पुनि कहु भालु कीस कटकाई। कठिन काल प्रेरित चलि आई॥3॥
पुनि कहु भालु कीस कटकाई। कठिन काल प्रेरित चलि आई॥3॥
भावार्थ:-मूर्ख ने राज्य करते हुए लंका को त्याग दिया। अभागा अब जौ का कीड़ा (घुन) बनेगा (जौ के साथ जैसे घुन भी पिस जाता है, वैसे ही नर वानरों के साथ वह भी मारा जाएगा), फिर भालु और वानरों की सेना का हाल कह, जो कठिन काल की प्रेरणा से यहाँ चली आई है॥3||
English: The fool left Lanka where he was ruling; the wretch will now be crushed as a weevil with barley-grains. Tell me next all about the host of bears and monkeys, that has been driven over here by a cruel destiny.
English: The fool left Lanka where he was ruling; the wretch will now be crushed as a weevil with barley-grains. Tell me next all about the host of bears and monkeys, that has been driven over here by a cruel destiny.
* जिन्ह के जीवन कर रखवारा। भयउ मृदुल चित सिंधु बिचारा॥
कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी। जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी॥4॥
कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी। जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी॥4॥
भावार्थ:-और जिनके जीवन का रक्षक कोमल चित्त वाला बेचारा समुद्र बन गया है (अर्थात्) उनके और राक्षसों के बीच में यदि समुद्र न होता तो अब तक राक्षस उन्हें मारकर खा गए होते। फिर उन तपस्वियों की बात बता, जिनके हृदय में मेरा बड़ा डर है॥4||
English: It is the poor soft-hearted sea that has stood as a protector of their lives. Lastly tell me the news about the ascetics (Ram and Lakshman) whose heart is obsessed with unceasing terror of me.
English: It is the poor soft-hearted sea that has stood as a protector of their lives. Lastly tell me the news about the ascetics (Ram and Lakshman) whose heart is obsessed with unceasing terror of me.