सोरठा :
Sortha:
Sortha:
* कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ॥12॥
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ॥12॥
भावार्थ:-तब हनुमान्जी ने हदय में विचार कर (सीताजी के सामने) अँगूठी डाल दी, मानो अशोक ने अंगारा दे दिया। (यह समझकर) सीताजी ने हर्षित होकर उठकर उसे हाथ में ले लिया॥12॥
English: Then, taking thought within himself, Hanuman (the monkey chief) dropped down the signet ring, as though the Ashok tree had thrown a spark (in response to Her prayer). She sprang up with joy and took it in Her hand.
English: Then, taking thought within himself, Hanuman (the monkey chief) dropped down the signet ring, as though the Ashok tree had thrown a spark (in response to Her prayer). She sprang up with joy and took it in Her hand.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* तब देखी मुद्रिका मनोहर। राम नाम अंकित अति सुंदर॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥1॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥1॥
भावार्थ:-तब उन्होंने राम-नाम से अंकित अत्यंत सुंदर एवं मनोहर अँगूठी देखी। अँगूठी को पहचानकर सीताजी आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगीं और हर्ष तथा विषाद से हृदय में अकुला उठीं॥1॥
English: Now She saw the charming ring with the name of Shri Ram most beautifully engraved on it. Recognizing the ring She looked at it with wonder and was agitated at heart with a mixed feeling of joy and sorrow.
English: Now She saw the charming ring with the name of Shri Ram most beautifully engraved on it. Recognizing the ring She looked at it with wonder and was agitated at heart with a mixed feeling of joy and sorrow.
* जीति को सकइ अजय रघुराई। माया तें असि रचि नहिं जाई॥
सीता मन बिचार कर नाना। मधुर बचन बोलेउ हनुमाना॥2॥
सीता मन बिचार कर नाना। मधुर बचन बोलेउ हनुमाना॥2॥
भावार्थ:-(वे सोचने लगीं-) श्री रघुनाथजी तो सर्वथा अजेय हैं, उन्हें कौन जीत सकता है? और माया से ऐसी (माया के उपादान से सर्वथा रहित दिव्य, चिन्मय) अँगूठी बनाई नहीं जा सकती। सीताजी मन में अनेक प्रकार के विचार कर रही थीं। इसी समय हनुमान्जी मधुर वचन बोले-॥2||
English: Who can conquer the invincible Lord of the Raghus and such a (divine) ring cannot be prepared through My (a conjuring trick). As Sita thus indulged in fancies of various kinds, Hanuman spoke in honeyed accents and
English: Who can conquer the invincible Lord of the Raghus and such a (divine) ring cannot be prepared through My (a conjuring trick). As Sita thus indulged in fancies of various kinds, Hanuman spoke in honeyed accents and
* रामचंद्र गुन बरनैं लागा। सुनतहिं सीता कर दुख भागा॥
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई। आदिहु तें सब कथा सुनाई॥3॥
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई। आदिहु तें सब कथा सुनाई॥3॥
भावार्थ:-वे श्री रामचंद्रजी के गुणों का वर्णन करने लगे, (जिनके) सुनते ही सीताजी का दुःख भाग गया। वे कान और मन लगाकर उन्हें सुनने लगीं। हनुमान्जी ने आदि से लेकर अब तक की सारी कथा कह सुनाई॥3||
English: and began to recount Shri Ramchandra's praises. The moment they reached Sita's ears Her grief took flight. She listened with all Her soul and ears while Hanuman narrated the whole story from the very beginning.
English: and began to recount Shri Ramchandra's praises. The moment they reached Sita's ears Her grief took flight. She listened with all Her soul and ears while Hanuman narrated the whole story from the very beginning.
* श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई। कही सो प्रगट होति किन भाई॥
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ। फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ ॥4॥
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ। फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ ॥4॥
भावार्थ:-(सीताजी बोलीं-) जिसने कानों के लिए अमृत रूप यह सुंदर कथा कही, वह हे भाई! प्रकट क्यों नहीं होता? तब हनुमान्जी पास चले गए। उन्हें देखकर सीताजी फिरकर (मुख फेरकर) बैठ गईं? उनके मन में आश्चर्य हुआ॥4॥
* राम दूत मैं मातु जानकी। सत्य सपथ करुनानिधान की॥
यह मुद्रिका मातु मैं आनी। दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥5॥
यह मुद्रिका मातु मैं आनी। दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥5॥
भावार्थ:-(हनुमान्जी ने कहा-) हे माता जानकी मैं श्री रामजी का दूत हूँ। करुणानिधान की सच्ची शपथ करता हूँ, हे माता! यह अँगूठी मैं ही लाया हूँ। श्री रामजी ने मुझे आपके लिए यह सहिदानी (निशानी या पहिचान) दी है॥5॥
English: I am Shri Ram's messenger, mother Janaki: I solemnly swear by the all-merciful Lord Himself.This ring has been brought by me, O mother; Shri Ram gave it to me as a token for you.
English: I am Shri Ram's messenger, mother Janaki: I solemnly swear by the all-merciful Lord Himself.This ring has been brought by me, O mother; Shri Ram gave it to me as a token for you.
* नर बानरहि संग कहु कैसें। कही कथा भइ संगति जैसें॥6॥
भावार्थ:-(सीताजी ने पूछा-) नर और वानर का संग कहो कैसे हुआ? तब हनुमानजी ने जैसे संग हुआ था, वह सब कथा कही॥6॥
English: Tell me what brought about this fellowship between a man and a monkey. Then Hanuman explained the circumstances in which a union was brought about between men and monkeys.
English: Tell me what brought about this fellowship between a man and a monkey. Then Hanuman explained the circumstances in which a union was brought about between men and monkeys.
दोहा :
Doha:
Doha:
* कपि के बचन सप्रेम सुनि उपजा मन बिस्वास
जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास॥13॥
जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास॥13॥
भावार्थ:-हनुमान्जी के प्रेमयक्त वचन सुनकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न हो गया, उन्होंने जान लिया कि यह मन, वचन और कर्म से कृपासागर श्री रघुनाथजी का दास है॥13॥
English: As She heard the monkeys affectionate words Her soul trusted him and She recognized him to be a servant of the all-merciful Lord in thought, word and deed.
English: As She heard the monkeys affectionate words Her soul trusted him and She recognized him to be a servant of the all-merciful Lord in thought, word and deed.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी। सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी॥
बूड़त बिरह जलधि हनुमाना। भयहु तात मो कहुँ जलजाना॥1॥
बूड़त बिरह जलधि हनुमाना। भयहु तात मो कहुँ जलजाना॥1॥
भावार्थ:-भगवान का जन (सेवक) जानकर अत्यंत गाढ़ी प्रीति हो गई। नेत्रों में (प्रेमाश्रुओं का) जल भर आया और शरीर अत्यंत पुलकित हो गया (सीताजी ने कहा-) हे तात हनुमान्! विरहसागर में डूबती हुई मुझको तुम जहाज हुए॥6॥
English: Perceiving him to be a devotee of Shri Hari She developed an intense affection for him. Her eyes filled with tears and a thrill ran through Her body. To me who was being drowned in the ocean of desolation, dear Hanuman, you have come as a veritable bark.
English: Perceiving him to be a devotee of Shri Hari She developed an intense affection for him. Her eyes filled with tears and a thrill ran through Her body. To me who was being drowned in the ocean of desolation, dear Hanuman, you have come as a veritable bark.
* अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी। अनुज सहित सुख भवन खरारी॥
कोमलचित कृपाल रघुराई। कपि केहि हेतु धरी निठुराई॥2॥
कोमलचित कृपाल रघुराई। कपि केहि हेतु धरी निठुराई॥2॥
भावार्थ:-मैं बलिहारी जाती हूँ, अब छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित खर के शत्रु सुखधाम प्रभु का कुशल-मंगल कहो। श्री रघुनाथजी तो कोमल हृदय और कृपालु हैं। फिर हे हनुमान्! उन्होंने किस कारण यह निष्ठुरता धारण कर ली है?॥2॥
English: Now tell me, I adjure you, the welfare of all-blissful Shri Ram (the Slayer of Khara) and His younger brother (Lakshman). Wherefore has the tender-hearted and compassionate Lord of the Raghus become so hard-hearted?
English: Now tell me, I adjure you, the welfare of all-blissful Shri Ram (the Slayer of Khara) and His younger brother (Lakshman). Wherefore has the tender-hearted and compassionate Lord of the Raghus become so hard-hearted?
* सहज बानि सेवक सुखदायक। कबहुँक सुरति करत रघुनायक॥
कबहुँ नयन मम सीतल ताता। होइहहिं निरखि स्याम मृदु गाता॥3॥
कबहुँ नयन मम सीतल ताता। होइहहिं निरखि स्याम मृदु गाता॥3॥
भावार्थ:-सेवक को सुख देना उनकी स्वाभाविक बान है। वे श्री रघुनाथजी क्या कभी मेरी भी याद करते हैं? हे तात! क्या कभी उनके कोमल साँवले अंगों को देखकर मेरे नेत्र शीतल होंगे?॥3॥
English: Does the Chief of the Raghus ever remember me, He who is by natural disposition a source of delight to His servants? Will my eyes, dear Hanuman, be ever gladdened by the sight of His swarthy and delicate limbs?
English: Does the Chief of the Raghus ever remember me, He who is by natural disposition a source of delight to His servants? Will my eyes, dear Hanuman, be ever gladdened by the sight of His swarthy and delicate limbs?
* बचनु न आव नयन भरे बारी। अहह नाथ हौं निपट बिसारी॥
देखि परम बिरहाकुल सीता। बोला कपि मृदु बचन बिनीता॥4॥
देखि परम बिरहाकुल सीता। बोला कपि मृदु बचन बिनीता॥4॥
भावार्थ:-(मुँह से) वचन नहीं निकलता, नेत्रों में (विरह के आँसुओं का) जल भर आया। (बड़े दुःख से वे बोलीं-) हा नाथ! आपने मुझे बिलकुल ही भुला दिया! सीताजी को विरह से परम व्याकुल देखकर हनुमान्जी कोमल और विनीत वचन बोले-॥4॥
English: Words failed Her and Her eyes swam with tears. Ah, my lord! You have entirely forgotten me. Seeing Sita sore distressed due to Her separation from Her lord, Hanuman addressed Her in soft and polite accents:
English: Words failed Her and Her eyes swam with tears. Ah, my lord! You have entirely forgotten me. Seeing Sita sore distressed due to Her separation from Her lord, Hanuman addressed Her in soft and polite accents:
* मातु कुसल प्रभु अनुज समेता। तव दुख दुखी सुकृपा निकेता॥
जनि जननी मानह जियँ ऊना। तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना॥5॥
जनि जननी मानह जियँ ऊना। तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना॥5॥
भावार्थ:-हे माता! सुंदर कृपा के धाम प्रभु भाई लक्ष्मणजी के सहित (शरीर से) कुशल हैं, परंतु आपके दुःख से दुःखी हैं। हे माता! मन में ग्लानि न मानिए (मन छोटा करके दुःख न कीजिए)। श्री रामचंद्रजी के हृदय में आपसे दूना प्रेम है॥5॥
English: The Lord and His younger brother (Lakshman) are both doing well, mother, except for the fact that the all-merciful is sorrowful because of Your sorrow. Do not feel vexed at heart, mother; Shri Ram loves You twice as much as You love Him.
English: The Lord and His younger brother (Lakshman) are both doing well, mother, except for the fact that the all-merciful is sorrowful because of Your sorrow. Do not feel vexed at heart, mother; Shri Ram loves You twice as much as You love Him.
दोहा :
Doha:
Doha:
* रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर।
अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर॥14॥
अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर॥14॥
भावार्थ:-हे माता! अब धीरज धरकर श्री रघुनाथजी का संदेश सुनिए। ऐसा कहकर हनुमान्जी प्रेम से गद्गद हो गए। उनके नेत्रों में (प्रेमाश्रुओं का) जल भर आया॥14॥
English: Mother, compose Yourself now and hear the message of Shri Ram (the Lord of the Raghus). Even as he uttered these words, the monkeys voice was choked with emotion and his eyes filled with tears.
English: Mother, compose Yourself now and hear the message of Shri Ram (the Lord of the Raghus). Even as he uttered these words, the monkeys voice was choked with emotion and his eyes filled with tears.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* कहेउ राम बियोग तव सीता। मो कहुँ सकल भए बिपरीता॥
नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू। कालनिसा सम निसि ससि भानू॥1॥
नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू। कालनिसा सम निसि ससि भानू॥1॥
भावार्थ:-(हनुमान्जी बोले-) श्री रामचंद्रजी ने कहा है कि हे सीते! तुम्हारे वियोग में मेरे लिए सभी पदार्थ प्रतिकूल हो गए हैं। वृक्षों के नए-नए कोमल पत्ते मानो अग्नि के समान, रात्रि कालरात्रि के समान, चंद्रमा सूर्य के समान॥1॥
English: Shri Ram said: Ever since I have been separated from you, Sita, everything to me has become its very reverse. The fresh and tender leaves on the trees look like tongues of fire; nights appear as dreadful as the night of final dissolution and the moon scorches like the sun.
English: Shri Ram said: Ever since I have been separated from you, Sita, everything to me has become its very reverse. The fresh and tender leaves on the trees look like tongues of fire; nights appear as dreadful as the night of final dissolution and the moon scorches like the sun.
*कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा। बारिद तपत तेल जनु बरिसा॥
जे हित रहे करत तेइ पीरा। उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा॥2॥
जे हित रहे करत तेइ पीरा। उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा॥2॥
भावार्थ:-और कमलों के वन भालों के वन के समान हो गए हैं। मेघ मानो खौलता हुआ तेल बरसाते हैं। जो हित करने वाले थे, वे ही अब पीड़ा देने लगे हैं। त्रिविध (शीतल, मंद, सुगंध) वायु साँप के श्वास के समान (जहरीली और गरम) हो गई है॥2॥
English: Beds of lotuses are like so many spears planted on the ground, while rain-clouds pour boiling oil as it were. Those that were friendly before have now become tormenting; the cool, soft and fragrant breezes are now like the breath of a serpent.
English: Beds of lotuses are like so many spears planted on the ground, while rain-clouds pour boiling oil as it were. Those that were friendly before have now become tormenting; the cool, soft and fragrant breezes are now like the breath of a serpent.
* कहेहू तें कछु दुख घटि होई। काहि कहौं यह जान न कोई॥
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥3॥
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥3॥
भावार्थ:-मन का दुःख कह डालने से भी कुछ घट जाता है। पर कहूँ किससे? यह दुःख कोई जानता नहीं। हे प्रिये! मेरे और तेरे प्रेम का तत्त्व (रहस्य) एक मेरा मन ही जानता है॥3॥
English: Ones agony is assuaged to some extent even by speaking of it; but to whom shall I speak about it? For there is no one who will understand. The reality about the chord of love that binds you and me, dear, is known to my soul alone
English: Ones agony is assuaged to some extent even by speaking of it; but to whom shall I speak about it? For there is no one who will understand. The reality about the chord of love that binds you and me, dear, is known to my soul alone
* सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं। जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं॥
प्रभु संदेसु सुनत बैदेही। मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही॥4॥
प्रभु संदेसु सुनत बैदेही। मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही॥4॥
भावार्थ:-और वह मन सदा तेरे ही पास रहता है। बस, मेरे प्रेम का सार इतने में ही समझ ले। प्रभु का संदेश सुनते ही जानकीजी प्रेम में मग्न हो गईं। उन्हें शरीर की सुध न रही॥4॥
English: and my soul ever abides with you. Know this to be the essence of my love. Videha's Daughter was so absorbed in love the moment She heard the Lords message, that She lost all consciousness of Her body.
English: and my soul ever abides with you. Know this to be the essence of my love. Videha's Daughter was so absorbed in love the moment She heard the Lords message, that She lost all consciousness of Her body.
* कह कपि हृदयँ धीर धरु माता। सुमिरु राम सेवक सुखदाता॥
उर आनहु रघुपति प्रभुताई। सुनि मम बचन तजहु कदराई॥5॥
उर आनहु रघुपति प्रभुताई। सुनि मम बचन तजहु कदराई॥5॥
भावार्थ:-हनुमान्जी ने कहा- हे माता! हृदय में धैर्य धारण करो और सेवकों को सुख देने वाले श्री रामजी का स्मरण करो। श्री रघुनाथजी की प्रभुता को हृदय में लाओ और मेरे वचन सुनकर कायरता छोड़ दो॥5॥
English: Said the monkey, Mother, collect Yourself, and fix Your thoughts on Shri Ram, the delight of His servants. Reflect on the glory of the Lord of the Raghus and shake off all faint-heartedness upon my word.
English: Said the monkey, Mother, collect Yourself, and fix Your thoughts on Shri Ram, the delight of His servants. Reflect on the glory of the Lord of the Raghus and shake off all faint-heartedness upon my word.
दोहा :
Doha:
Doha:
* निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु।
जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु॥15॥
जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु॥15॥
भावार्थ:-राक्षसों के समूह पतंगों के समान और श्री रघुनाथजी के बाण अग्नि के समान हैं। हे माता! हृदय में धैर्य धारण करो और राक्षसों को जला ही समझो॥15॥
English: The hosts of demons are like so many moths, while the shafts of the Lord of the Raghus are like flames. Have courage in Your heart, mother, and take the demons as consumed.
English: The hosts of demons are like so many moths, while the shafts of the Lord of the Raghus are like flames. Have courage in Your heart, mother, and take the demons as consumed.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* जौं रघुबीर होति सुधि पाई। करते नहिं बिलंबु रघुराई॥
राम बान रबि उएँ जानकी। तम बरुथ कहँ जातुधान की॥1॥
राम बान रबि उएँ जानकी। तम बरुथ कहँ जातुधान की॥1॥
भावार्थ:-श्री रामचंद्रजी ने यदि खबर पाई होती तो वे बिलंब न करते। हे जानकीजी! रामबाण रूपी सूर्य के उदय होने पर राक्षसों की सेना रूपी अंधकार कहाँ रह सकता है?॥1॥
English: Had the Hero of Raghus line any news about You, the Lord of the Raghus would not have tarried.The moment Shri Ram's arrows make their appearance like the sun, the demon host would be scattered like the shadows of night.
English: Had the Hero of Raghus line any news about You, the Lord of the Raghus would not have tarried.The moment Shri Ram's arrows make their appearance like the sun, the demon host would be scattered like the shadows of night.
* अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई। प्रभु आयुस नहिं राम दोहाई॥
कछुक दिवस जननी धरु धीरा। कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा॥2॥
कछुक दिवस जननी धरु धीरा। कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा॥2॥
भावार्थ:-हे माता! मैं आपको अभी यहाँ से लिवा जाऊँ, पर श्री रामचंद्रजी की शपथ है, मुझे प्रभु (उन) की आज्ञा नहीं है। (अतः) हे माता! कुछ दिन और धीरज धरो। श्री रामचंद्रजी वानरों सहित यहाँ आएँगे॥2॥
English: Mother, I would take You to Him this very moment; but, I swear by Ram, I have no such orders from the Lord. Therefore, wait patiently for some days more, mother, till the Hero of Raghus line arrives with the troops of monkeys.
English: Mother, I would take You to Him this very moment; but, I swear by Ram, I have no such orders from the Lord. Therefore, wait patiently for some days more, mother, till the Hero of Raghus line arrives with the troops of monkeys.
*निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं। तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं॥
हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना। जातुधान अति भट बलवाना॥3॥
हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना। जातुधान अति भट बलवाना॥3॥
भावार्थ:-और राक्षसों को मारकर आपको ले जाएँगे। नारद आदि (ऋषि-मुनि) तीनों लोकों में उनका यश गाएँगे। (सीताजी ने कहा-) हे पुत्र! सब वानर तुम्हारे ही समान (नन्हें-नन्हें से) होंगे, राक्षस तो बड़े बलवान, योद्धा हैं॥3॥
English: Slaughtering the demons, He will take You away; while Naarad and the other sages will glorify Him in all the three spheres of creation. But, my son, all the monkeys must be pygmies like you, whereas the demons are mighty and great warriors.
English: Slaughtering the demons, He will take You away; while Naarad and the other sages will glorify Him in all the three spheres of creation. But, my son, all the monkeys must be pygmies like you, whereas the demons are mighty and great warriors.
* मोरें हृदय परम संदेहा। सुनि कपि प्रगट कीन्हि निज देहा॥
कनक भूधराकार सरीरा। समर भयंकर अतिबल बीरा॥4॥
कनक भूधराकार सरीरा। समर भयंकर अतिबल बीरा॥4॥
भावार्थ:-अतः मेरे हृदय में बड़ा भारी संदेह होता है (कि तुम जैसे बंदर राक्षसों को कैसे जीतेंगे!)। यह सुनकर हनुमान्जी ने अपना शरीर प्रकट किया। सोने के पर्वत (सुमेरु) के आकार का (अत्यंत विशाल) शरीर था, जो युद्ध में शत्रुओं के हृदय में भय उत्पन्न करने वाला, अत्यंत बलवान् और वीर था॥4॥
English: I have grave misgivings in my heart on this score. On hearing this the monkey revealed His natural form, colossal as a mountain of gold, terrible in battle, possessing great might and full of valour.
English: I have grave misgivings in my heart on this score. On hearing this the monkey revealed His natural form, colossal as a mountain of gold, terrible in battle, possessing great might and full of valour.
* सीता मन भरोस तब भयऊ। पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ॥5॥
भावार्थ:-तब (उसे देखकर) सीताजी के मन में विश्वास हुआ। हनुमान्जी ने फिर छोटा रूप धारण कर लिया॥5॥
English: Sita now took comfort in Her heart and the son of the wind-god thereupon resumed his diminutive appearance.
English: Sita now took comfort in Her heart and the son of the wind-god thereupon resumed his diminutive appearance.
दोहा :
Doha:
Doha:
* सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥16॥
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥16॥
भावार्थ:-हे माता! सुनो, वानरों में बहुत बल-बुद्धि नहीं होती, परंतु प्रभु के प्रताप से बहुत छोटा सर्प भी गरुड़ को खा सकता है। (अत्यंत निर्बल भी महान् बलवान् को मार सकता है)॥16॥
English: Listen, mother: monkeys possess no great strength or intelligence either; but, through the Lords might, the most tiny snake might swallow Garud (the king of birds and the mount of Bhagwan Vishnu).
English: Listen, mother: monkeys possess no great strength or intelligence either; but, through the Lords might, the most tiny snake might swallow Garud (the king of birds and the mount of Bhagwan Vishnu).
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* मन संतोष सुनत कपि बानी। भगति प्रताप तेज बल सानी॥
आसिष दीन्हि राम प्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना॥1॥
आसिष दीन्हि राम प्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना॥1॥
भावार्थ:-भक्ति, प्रताप, तेज और बल से सनी हुई हनुमान्जी की वाणी सुनकर सीताजी के मन में संतोष हुआ। उन्होंने श्री रामजी के प्रिय जानकर हनुमान्जी को आशीर्वाद दिया कि हे तात! तुम बल और शील के निधान होओ॥1॥
English: Sita felt gratified at heart even as She heard the monkeys words full of devotion and revealing Shri Ram's majesty, glory and strength. Recognizing him as the beloved of Shri Ram She gave him Her blessing: May you become a repository of strength and virtue, dear child.
English: Sita felt gratified at heart even as She heard the monkeys words full of devotion and revealing Shri Ram's majesty, glory and strength. Recognizing him as the beloved of Shri Ram She gave him Her blessing: May you become a repository of strength and virtue, dear child.
*अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥2॥
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥2॥
भावार्थ:-हे पुत्र! तुम अजर (बुढ़ापे से रहित), अमर और गुणों के खजाने होओ। श्री रघुनाथजी तुम पर बहुत कृपा करें। 'प्रभु कृपा करें' ऐसा कानों से सुनते ही हनुमान्जी पूर्ण प्रेम में मग्न हो गए॥2॥
English: May you ever remain immune from old age and death and prove to be a storehouse of good qualities, my son; and may the Lord of the Raghus shower His abundant grace on you. The moment the words May the Lord be gracious to you reached his ears Hanuman was utterly overwhelmed with emotion.
English: May you ever remain immune from old age and death and prove to be a storehouse of good qualities, my son; and may the Lord of the Raghus shower His abundant grace on you. The moment the words May the Lord be gracious to you reached his ears Hanuman was utterly overwhelmed with emotion.
*बार बार नाएसि पद सीसा। बोला बचन जोरि कर कीसा॥
अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता। आसिष तव अमोघ बिख्याता॥3॥
अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता। आसिष तव अमोघ बिख्याता॥3॥
भावार्थ:-हनुमान्जी ने बार-बार सीताजी के चरणों में सिर नवाया और फिर हाथ जोड़कर कहा- हे माता! अब मैं कृतार्थ हो गया। आपका आशीर्वाद अमोघ (अचूक) है, यह बात प्रसिद्ध है॥3॥
English: Again and again Hanuman bowed his head at Her feet and with joined palms addressed Her thus: I have now accomplished all that I had to accomplish, my mother; for your blessing, everyone knows, is unfailing.
English: Again and again Hanuman bowed his head at Her feet and with joined palms addressed Her thus: I have now accomplished all that I had to accomplish, my mother; for your blessing, everyone knows, is unfailing.
*सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा। लागि देखि सुंदर फल रूखा॥
सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी। परम सुभट रजनीचर भारी॥4॥
सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी। परम सुभट रजनीचर भारी॥4॥
भावार्थ:-हे माता! सुनो, सुंदर फल वाले वृक्षों को देखकर मुझे बड़ी ही भूख लग आई है। (सीताजी ने कहा-) हे बेटा! सुनो, बड़े भारी योद्धा राक्षस इस वन की रखवाली करते हैं॥4॥
English: Listen, mother: I am feeling frightfully hungry at the sight of these trees laden with delicious fruits. "I tell you, my son, this grove is guarded by most valiant and mighty demons.
English: Listen, mother: I am feeling frightfully hungry at the sight of these trees laden with delicious fruits. "I tell you, my son, this grove is guarded by most valiant and mighty demons.
* तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं। जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं॥5॥
भावार्थ:-(हनुमान्जी ने कहा-) हे माता! यदि आप मन में सुख मानें (प्रसन्न होकर) आज्ञा दें तो मुझे उनका भय तो बिलकुल नहीं है॥5॥
English: Mother, I am not at all afraid of them, only if I have your hearty approval.
English: Mother, I am not at all afraid of them, only if I have your hearty approval.