दोहा :
Doha:
Doha:
* रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ।
नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरष कपिराई॥5॥
नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरष कपिराई॥5॥
भावार्थ:-वह महल श्री रामजी के आयुध (धनुष-बाण) के चिह्नों से अंकित था, उसकी शोभा वर्णन नहीं की जा सकती। वहाँ नवीन-नवीन तुलसी के वृक्ष-समूहों को देखकर कपिराज श्री हनुमान्जी हर्षित हुए॥5||
English: The mansion had the weapons (bow and arrow) of Shri Ram painted on its walls and was beautiful beyond words. The monkey chief rejoiced to see clusters of young Tulsidas plants there.
English: The mansion had the weapons (bow and arrow) of Shri Ram painted on its walls and was beautiful beyond words. The monkey chief rejoiced to see clusters of young Tulsidas plants there.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* लंका निसिचर निकर निवासा। इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा॥
मन महुँ तरक करैं कपि लागा। तेहीं समय बिभीषनु जागा॥1॥
मन महुँ तरक करैं कपि लागा। तेहीं समय बिभीषनु जागा॥1॥
भावार्थ:-लंका तो राक्षसों के समूह का निवास स्थान है। यहाँ सज्जन (साधु पुरुष) का निवास कहाँ? हनुमान्जी मन में इस प्रकार तर्क करने लगे। उसी समय विभीषणजी जागे॥1||
English: Lanka is the abode of a gang of demons; how could a pious man take up his residence here? While the monkey chief was thus reasoning within himself, Vibhishan(Ravan`s youngest brother) woke up.
English: Lanka is the abode of a gang of demons; how could a pious man take up his residence here? While the monkey chief was thus reasoning within himself, Vibhishan(Ravan`s youngest brother) woke up.
* राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा। हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा॥
एहि सन सठि करिहउँ पहिचानी। साधु ते होइ न कारज हानी॥2॥
एहि सन सठि करिहउँ पहिचानी। साधु ते होइ न कारज हानी॥2॥
भावार्थ:-उन्होंने (विभीषण ने) राम नाम का स्मरण (उच्चारण) किया। हनमान्जी ने उन्हें सज्जन जाना और हृदय में हर्षित हुए। (हनुमान्जी ने विचार किया कि) इनसे हठ करके (अपनी ओर से ही) परिचय करूँगा, क्योंकि साधु से कार्य की हानि नहीं होती। (प्रत्युत लाभ ही होता है)॥2||
English: He began to repeat Shri Ram`s name in prayer and Hanuman was delighted at heart to find a virtuous soul. I shall make acquaintance with him at all events; for ones cause would never suffer at the hands of a good man.
English: He began to repeat Shri Ram`s name in prayer and Hanuman was delighted at heart to find a virtuous soul. I shall make acquaintance with him at all events; for ones cause would never suffer at the hands of a good man.
* बिप्र रूप धरि बचन सुनाए। सुनत बिभीषन उठि तहँ आए॥
करि प्रनाम पूँछी कुसलाई। बिप्र कहहु निज कथा बुझाई॥3॥
करि प्रनाम पूँछी कुसलाई। बिप्र कहहु निज कथा बुझाई॥3॥
भावार्थ:-ब्राह्मण का रूप धरकर हनुमान्जी ने उन्हें वचन सुनाए (पुकारा)। सुनते ही विभीषणजी उठकर वहाँ आए। प्रणाम करके कुशल पूछी (और कहा कि) हे ब्राह्मणदेव! अपनी कथा समझाकर कहिए॥3||
English: Having thus resolved he assumed the form of a Brahmana and accosted Vibhshan. As soon as he heard Hanuman`s words he rose and came where the latter was. Bowing low he enquired after the Brahma`s welfare: Tell me all about you, holy sir.
English: Having thus resolved he assumed the form of a Brahmana and accosted Vibhshan. As soon as he heard Hanuman`s words he rose and came where the latter was. Bowing low he enquired after the Brahma`s welfare: Tell me all about you, holy sir.
* की तुम्ह हरि दासन्ह महँ कोई। मोरें हृदय प्रीति अति होई॥
की तुम्ह रामु दीन अनुरागी। आयहु मोहि करन बड़भागी॥4॥
की तुम्ह रामु दीन अनुरागी। आयहु मोहि करन बड़भागी॥4॥
भावार्थ:-क्या आप हरिभक्तों में से कोई हैं? क्योंकि आपको देखकर मेरे हृदय में अत्यंत प्रेम उमड़ रहा है। अथवा क्या आप दीनों से प्रेम करने वाले स्वयं श्री रामजी ही हैं जो मुझे बड़भागी बनाने (घर-बैठे दर्शन देकर कृतार्थ करने) आए हैं?॥4||
English: Are you one of Shri Hari`s own servants (Narada and others)? My heart is filled with exceeding love at your sight. Or are you Shri Ram Himself, a loving friend of the poor, who have come to bless me (by your sight)?
English: Are you one of Shri Hari`s own servants (Narada and others)? My heart is filled with exceeding love at your sight. Or are you Shri Ram Himself, a loving friend of the poor, who have come to bless me (by your sight)?
दोहा :
Doha:
Doha:
* तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम॥6॥
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम॥6॥
भावार्थ:-तब हनुमान्जी ने श्री रामचंद्रजी की सारी कथा कहकर अपना नाम बताया। सुनते ही दोनों के शरीर पुलकित हो गए और श्री रामजी के गुण समूहों का स्मरण करके दोनों के मन (प्रेम और आनंद में) मग्न हो गए॥6॥
English: There upon Hanuman told him all about Shri Ram and disclosed his identity as well. The moment Vibhishan heard this a thrill ran through the body of both and they were transported with joy at the thought of Shri Ram`s host of virtues.
English: There upon Hanuman told him all about Shri Ram and disclosed his identity as well. The moment Vibhishan heard this a thrill ran through the body of both and they were transported with joy at the thought of Shri Ram`s host of virtues.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥1॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥1॥
भावार्थ:-(विभीषणजी ने कहा-) हे पवनपुत्र! मेरी रहनी सुनो। मैं यहाँ वैसे ही रहता हूँ जैसे दाँतों के बीच में बेचारी जीभ। हे तात! मुझे अनाथ जानकर सूर्यकुल के नाथ श्री रामचंद्रजी क्या कभी मुझ पर कृपा करेंगे?॥1||
English: Hear, O son of the wind-god, how I am living here: my plight is similar to that of the poor tongue, that lives in the midst of the teeth. Will the Lord of the solar race, dear friend, ever show His grace to me,
English: Hear, O son of the wind-god, how I am living here: my plight is similar to that of the poor tongue, that lives in the midst of the teeth. Will the Lord of the solar race, dear friend, ever show His grace to me,
*तामस तनु कछु साधन नाहीं। प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥2॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥2॥
भावार्थ:-मेरा तामसी (राक्षस) शरीर होने से साधन तो कुछ बनता नहीं और न मन में श्री रामचंद्रजी के चरणकमलों में प्रेम ही है, परंतु हे हनुमान्! अब मुझे विश्वास हो गया कि श्री रामजी की मुझ पर कृपा है, क्योंकि हरि की कृपा के बिना संत नहीं मिलते॥2||
English: knowing me to be masterless? Endowed as I am with a sinful (demoniac) form, I am incapable of doing any Sadhana (striving for God-Realization); and my heart cherishes no love for the Lords lotus-feet. But I am now confident, Hanuman, that Shri Ram will shower His grace on me; for one can never meet a saint without Shri Haris grace.
English: knowing me to be masterless? Endowed as I am with a sinful (demoniac) form, I am incapable of doing any Sadhana (striving for God-Realization); and my heart cherishes no love for the Lords lotus-feet. But I am now confident, Hanuman, that Shri Ram will shower His grace on me; for one can never meet a saint without Shri Haris grace.
* जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा। तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती। करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥3॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती। करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥3॥
भावार्थ:-जब श्री रघुवीर ने कृपा की है, तभी तो आपने मुझे हठ करके (अपनी ओर से) दर्शन दिए हैं। (हनुमान्जी ने कहा-) हे विभीषणजी! सुनिए, प्रभु की यही रीति है कि वे सेवक पर सदा ही प्रेम किया करते हैं॥3||
English: It is only because the Hero of Raghus race has been kind to me that you have blessed me with your sight unsolicited. Listen, Vibhishan: the Lord is ever affectionate to His servants; for such is His wont.
English: It is only because the Hero of Raghus race has been kind to me that you have blessed me with your sight unsolicited. Listen, Vibhishan: the Lord is ever affectionate to His servants; for such is His wont.
* कहहु कवन मैं परम कुलीना। कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥4॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥4॥
भावार्थ:-भला कहिए, मैं ही कौन बड़ा कुलीन हूँ? (जाति का) चंचल वानर हूँ और सब प्रकार से नीच हूँ, प्रातःकाल जो हम लोगों (बंदरों) का नाम ले ले तो उस दिन उसे भोजन न मिले॥4||
दोहा :
Doha:
* अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥
भावार्थ:-हे सखा! सुनिए, मैं ऐसा अधम हूँ, पर श्री रामचंद्रजी ने तो मुझ पर भी कृपा ही की है। भगवान् के गुणों का स्मरण करके हनुमान्जी के दोनों नेत्रों में (प्रेमाश्रुओं का) जल भर आया॥7||
English: Listen, my friend: though I am so wretched, the Hero of Raghus race has shown His grace even to me ! And his eyes filled with tears as he recalled the Lords virtues.
English: Listen, my friend: though I am so wretched, the Hero of Raghus race has shown His grace even to me ! And his eyes filled with tears as he recalled the Lords virtues.
चौपाई :
Chaupai:
Chaupai:
* जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥1॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥1॥
भावार्थ:-जो जानते हुए भी ऐसे स्वामी (श्री रघुनाथजी) को भुलाकर (विषयों के पीछे) भटकते फिरते हैं, वे दुःखी क्यों न हों? इस प्रकार श्री रामजी के गुण समूहों को कहते हुए उन्होंने अनिर्वचनीय (परम) शांति प्राप्त की॥1||
English: It is not to be wondered that those who knowingly forget such a lord and go adrift should be unhappy. Thus recounting Shri Ram`s virtues, Hanuman derived unspeakable solace.
English: It is not to be wondered that those who knowingly forget such a lord and go adrift should be unhappy. Thus recounting Shri Ram`s virtues, Hanuman derived unspeakable solace.
* पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥2॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥2॥
भावार्थ:-फिर विभीषणजी ने, श्री जानकीजी जिस प्रकार वहाँ (लंका में) रहती थीं, वह सब कथा कही। तब हनुमान्जी ने कहा- हे भाई सुनो, मैं जानकी माता को देखता चाहता हूँ॥2||
English: Then Vibhishan fully narrated how Janakas Daughter had been living there. Thereupon Hanuman said, Listen, brother: I should like to see Mother Sita:
English: Then Vibhishan fully narrated how Janakas Daughter had been living there. Thereupon Hanuman said, Listen, brother: I should like to see Mother Sita: